
- बात उन दिनों की है जब मै राजनीति मे जाने की सोच रहा था। गांधी,इंदिरा, अटल हर वक्त दिमाग मे गूंजते रहते थे। अब्राहम लिंकन के संघर्ष, नेल्सन मंडेला के त्याग और सुभाष के बलिदान मुझे हमेशा प्रेरित करते रहते थे। मै भी उनसे प्रेरित होते हुए सारे त्याग और बलिदान करना चाहता था। प्रश्न ये था कि सुरुवात कहाँ से करुं? तभी अंतस से प्रेरणा मिली कि जीवन के लिए लक्ष्य का निर्धारण ही राजनीति मे इंट्री की प्राथमिकता है।उसे पाने की दिशा मे चलना संघर्ष है। मै संघर्ष और त्याग के सारे बैरियर तोड़ने का पक्का इरादा कर लिया था। स्कूल की पढ़ाई खत्म कर कॉलेज मे जाने की तैयारी थी। सब कुछ सोचने विचारने के बाद भी प्रश्न था सुरुवात कहाँ से करुं?
बुजुर्गों के जीवन के दिन कम ही होते हैं लेकिन वे शांत एवम धैर्य से काम लेते हैं और हम युवा जिनके पास पूरा जीवन होता है फिरभी कोई काम हरपल घबराये हुए जल्दबाजी मे करते हैं।वैसे भी जवानी का समय बहुत तेजी से गुजरता है और यही घबराहट भरी तेजी हमे लक्ष्य से दूर लेजाता है।बार बार की गलती और उससे मिलने वाली सिख हमे बता रही थी कि राजनीति मे आगे जाने के लिए एक मेरे पास एक शिक्षक होना चाहिए जो समय समय पर मुझे मार्गदर्शित करता रहे।अब प्रश्न ये था कि मार्गदर्शक किसे बनाऊ। इस संबंध मे मैने अपने एक प्रिय मित्र से विचार विमर्श किया ।उन हम उम्र मित्र ने निष्कर्ष निकाला कि समय से बड़ा शिक्षक कोई नही होता। इसमे कुछ नया नही था क्योंकि ये बात मै भी जानता था । फिरभी मै एक साक्षात गुरु की खोज मे प्रयत्नशील था। मेरे परिचय मे कोई पॉलिटिशियन नही था जिससे मै असहज महसूस कर रहा था। उसी समय चुनाव का दौर सुरु हो रहा था और हमारे क्षेत्र मे एक सभ्य, सुशील और कर्मठ राजनीतिज्ञ का प्रवास था।एक परीक्षा की तैयारी के तौर पर मै अपने क्षेत्र के तमाम जानकारियों से अपडेट होने के बाद मै उस यशस्वी से मिलने का समय लिया।
मुलाकात के दिलचश्प होने की संभावना के साथ मै मिला। घंटों के सानिध्य के बाद जिसमें तरह तरह के सार्थक प्रश्नोत्तरों के बाद मै खुद से संतुष्ट था। कुछ दिनों का सानिध्य रहा । पार्टी संगठन की तम्माम बारीकियां सीखा और समझा और अंत मे बिदा लेते समय मैने उनसे पूछा कि राजनीति की वास्तविक बारीकी क्या है तो उनका जवाब था-कभी इश्क किया है? मै सोच मे पड़ गया कि यह प्रश्न है या उत्तर ? अपने कंफ्यूजन को शर्मिंदगी भरे हुए मुस्कराहट से छुपाते हुए उन्हें विदा किया। आज भी मेरे जेहन मे यह प्रश्न गूंजती है- कभी इश्क किया है? 11/09/2021