
राह जटिल है
समय कुटिल है
कर पार इसे तो
तूं प्रवीण है।जैव सम्पन्न हो
मेल मिलन हो
पा ले इसको तो
तूं प्रवीण है।मोड़ दे जीवनधारा
छोड़ दे गलत सहारा
कर ले ऐसा तो
तूं प्रवीण है।तूं कर मनन
कर शक्ति जनन
केंद्रित कर इनको तो
तूं प्रवीण है।क्या है प्रणय
किसके हो तनय
छोड़,जो सीखा समर को
तो तूं प्रवीण है।बन प्राण प्रतिष्ठित
कर मन सुइक्षित
सीखा जो कर्मस्नेह तो
तूं प्रवीण है।तुझे चाहिए जो राजयोग
तो जीत सारा संयोग
छोड़ा जो सारा अर्धसत्य तो
तूं प्रवीण है।बन खुद सुभासा
कर विभिन्न प्रवासा
इस निमित्त किया जो सबकुछ
तो तूं प्रवीण है।ईश समर्पित
ईश को अर्पित
सबमे समझा ईश तो
तूं प्रवीण है।
09-05-2024