झूठ तो झूठे सच तो नाकाम

  1. राजनीति बहुत गंदी चीज है।’पांच हजार साल पहले महाभारत के शकुनी काअपने भांजे दुर्योधन से कही गयी यह बात आज भी चरितार्थ होती है। महाभारत के राजनैतिक काल मे शकुनी कृष्ण से किसी भी रूप मे कम नही था लेकिन उद्देश्य की नकारात्मकता ने उसे बुरा बना दिया।
    देव बहुत कम या ये कहें कि ना के बराबर झूठ बोलता था।वो ये नही चाहता था कि किसी वजह से किसी से झूठ बोले।बात ठीक भी था।एक व्यक्ति को ईमानदार होना भी चाहिए।
    लेकिन ये राजनीति जो ठहरी जो त्रेता और द्वापर मे गलत हो सकती है तो इस कलियुग की क्या औकात जो उसे गलत करने से रोक सके।I देव को सबसे ज्यादा परेशानी अच्छे होने से उठानी पड़ती थी।उसकी आलोचना उसकी गलती के लिए नहीं बल्कि उसके अच्छाई के लिए होती थी।
    लोग उसे सीधा, साधारण एवं नेक दिल होने के वजह से राजनैतिक रूप से अयोग्य मनाने लगे थे। इसके लिए उसने यह मान लिया कि वह भी अब “टिट फ़ॉर टैट एंड दिस फ़ॉर दैट”की रणनीति पर काम करेगा।अभी वह एक-दो झूठ बोला ही था कि लोग उसपर कटु शब्दों का उपयोग करने लगे।उसने हार नहीं मानी।संघर्ष जारी रखा।विरोध तीव्र होते गए।शायद वो ये नही जानता था कि राजनीति मे लोग गलत को गाली ही नही देते बल्कि सच की भी कटु आलोचना करते हैं।
    अब देव समझ गया था कि “झूठ तो झूठे सच तो नाकाम,राजनीति मे रहनी है तो आलोचना को करें प्रणाम।

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